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Showing posts from January 10, 2021

टपरी पर उनकी सिगरेट..

बड़े अरसे बाद वो मिल गए उसी चौराहे पर टपरी के कोने में सिगरेट जलाए होते थे निकलेंगे अभी हम बस इसी रास्ते से उन चाय के न जाने कितने बकाए होते थे हर रोज़ फेंक देते थे वो अध बुझी सी बातें कोई देख लेगा तो क्या हो और हर रोज़ फिर जला लेते थे ख़ुद-बुनी यादें के एक रोज़ कह ही दे तो क्या हो बड़े अरसे बाद वह मिल गए उसी कुर्ते में होली के दाग छुड़ाए होते थे लटकती थी एक जेब उनकी माचिस से ना जाने कैसे ऐब लगाए होते थे बड़े अरसे बाद वो मिल गए उसी चौराहे पर टपरी के कोने में, सिगरेट जलाए होते थे.. Himadri 14/01/2021 @himmicious