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Showing posts from 2021

वहीं चले आए..

वहीं से उठे और वहीं चले आए बड़े ग़ुरूर से हम वो बात कह आए ढूंढ लो कहीं , है जमीं, है आसमाँ यहीं तुमसे तो ज़्यादा करीब हैं तुम्हारे साए वहीं से उठे और वहीं चले आए..  वो टूटे से थे कुछ, कुछ ज़्यादा ही, सहमा सा इश्क कर बैठे, आधा, कुछ आधा ही, हम थाम लें भर कर चहरे को इन हाथो में उलझा कर इस सहमे हुए दिल को बातों में  की फिर से पहली सी मुहोब्बत एक बार हो जाए वहीं से उठे और वहीं चले आए.. बड़ा मुश्किल हो चला , है यह एक तरफ़ा इश्क़ सा ज़ाया हम ही आएंगे लौट कर, ख़ुद ही को समझाया वो मेरा क्या होगा, जो खुद का न हो सका हम तो समझ गए पर इस दिल को कौन समझाए रूठ कर उनसे, बड़े ग़ुरूर में कह आए तुमसे करीब हैं सिर्फ, तुम्हारे साए और खुद ही हार गए अपनी जिद से फिर वहीं से उठे और वहीं चले आए...  HIMADRI 16/02/2021 @himmilicious

टपरी पर उनकी सिगरेट..

बड़े अरसे बाद वो मिल गए उसी चौराहे पर टपरी के कोने में सिगरेट जलाए होते थे निकलेंगे अभी हम बस इसी रास्ते से उन चाय के न जाने कितने बकाए होते थे हर रोज़ फेंक देते थे वो अध बुझी सी बातें कोई देख लेगा तो क्या हो और हर रोज़ फिर जला लेते थे ख़ुद-बुनी यादें के एक रोज़ कह ही दे तो क्या हो बड़े अरसे बाद वह मिल गए उसी कुर्ते में होली के दाग छुड़ाए होते थे लटकती थी एक जेब उनकी माचिस से ना जाने कैसे ऐब लगाए होते थे बड़े अरसे बाद वो मिल गए उसी चौराहे पर टपरी के कोने में, सिगरेट जलाए होते थे.. Himadri 14/01/2021 @himmicious

क्यों आए थे?

ये वक़्त-बेवक़्त की बचकानी बातें हैं, इन्हें जाने दो.. तुम समझ नही पाओगी,तुम्हे समझाने दो..  ऐसी तरक़ीब से उन्होंने उलझा के रख दी बड़ी मुश्किल से जो मसले सुझाए थे रहना - ना रहना बाद कि बाते हैं गर नामालूम था पता, तो क्यों आये थे?  हाँ ठीक! तुम सही, हम गलत,  सब गलत, ये इश्क गलत.. हमने तो न दी थी वजह, ना रास्ते बताए थे, गर ना मालूम था पता, तो क्यों आए थे?   मान लेते हैं तुम यूँ ही निकल आये, चलो जाने दो..  हम फिर संभाल जाएंगे, थोड़ा टूट जाने दो..  ये इश्क के फ़लसफ़े हैं, यूँ ही नही बन जाते..  कभी तो आओगे पलट के, तो पूछ लेंगे..  क्यों आए थे?  Himadri 08/01/2021 @himmicious