बड़े ग़ुरूर से हम वो बात कह आए
ढूंढ लो कहीं , है जमीं, है आसमाँ यहीं
तुमसे तो ज़्यादा करीब हैं तुम्हारे साए
वहीं से उठे और वहीं चले आए..
वो टूटे से थे कुछ, कुछ ज़्यादा ही,
सहमा सा इश्क कर बैठे, आधा, कुछ आधा ही,
हम थाम लें भर कर चहरे को इन हाथो में
उलझा कर इस सहमे हुए दिल को बातों में
की फिर से पहली सी मुहोब्बत एक बार हो जाए
वहीं से उठे और वहीं चले आए..
बड़ा मुश्किल हो चला ,
है यह एक तरफ़ा इश्क़ सा ज़ाया
हम ही आएंगे लौट कर, ख़ुद ही को समझाया
वो मेरा क्या होगा, जो खुद का न हो सका
हम तो समझ गए पर इस दिल को कौन समझाए
रूठ कर उनसे, बड़े ग़ुरूर में कह आए
तुमसे करीब हैं सिर्फ, तुम्हारे साए
और खुद ही हार गए अपनी जिद से
फिर वहीं से उठे और वहीं चले आए...
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