मैं दूसरों की बातों में तुझे ढूँढ रही हूँ
पर हर उस शख़्स को छोड़ रही हूँ
जो तेरे जाने के बाद मुझे तेरे ज़िक्र से मार रहा है
मैं मर रही हूँ की तुझे खबर तो पहुँचेगी
ये मेरा सब्र ही था जो अब हार रहा है
मैं बहाने बना कर खिड़की में कई बार
सँवार लेती हूँ बालों को अपने
तेरे ग़लीचे में खिल गये हैं नए फूल
कोई तो है जो दरख़्त में पानी डाल रहा है
क्या ही बद्दुआ दूँ, जा हो जाए तुझे भी वो इश्क़
जो मुझे तुझसे हुआ!
ज़रा नफ़रत भी तो देख उसकी जो तेरा यार रहा है
मैं हर शख़्स को छोड़ रही हूँ ! जो मुझे तेरे ज़िक्र से मार रहा है
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